Akbar Birbal Short Stories Hindi - 6 दिलचस्प रोचक कहानियाँ

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Read 6 interesting Akbar Birbal Short Stories Hindi : 1.मोम का शहजादा 2.बादशाह अकबर का चित्र बाथरूम के दरवाजे पर 3.बातहि हाथी पाइए बातहि हाथी पांव 4.सबसे अच्छा मौसम कोनसा है 5.संगति का असर 6.हजूर गधे आते हैं

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1. मोम का शहजादा : Akbar Birbal Short Stories Hindi

एक दिन बादशाह अकबर ने बीरबल से कहा कि आपके ग्रन्थों में लिखा है कि हाथी की पुकार सुनकर श्रीकृष्णजी पैदल दौड़े थे न तो कोई नौकर ही संग लिया न सवारी पर ही गये ।

इसकी वजह समझ में नहीं आती? क्या उनके यहाँ नौकर नहीं थे ?

बीरबल बोले कि इसका उत्तर आपको समय आने पर दिया जायेगा ।

कुछ दिन बीतने पर, एक दिन बीरबल ने एक नौकर को बुलाया और समझाया जो की बादशाह के पोते को इधर उधर टहलाता था ।

एक मोम की बनी वस्तु दी, जिसकी शक्ल बादशाह के पोते की ही तरह थी ।

यथा स्थान गहने कपड़े से सुसज्जित होने पर मोम की मूर्ति दूर से देखने में बिल्कुल शाहजादा मालूम होता था।

इसे नौकर को देकर अच्छी तरह समझा दिया कि जिस तरह नित्य प्रति ही बादशाह के पोते को लेकर उनके सम्मुख जाते हो, ठीक आज इस मूर्ति को भी लेकर जाना।

परन्तु इस जल कुण्ड के पास फिसल जाने का बहाना कर गिर पड़ना और देखकर सावधानी से इस प्रकार गिरना कि आप जमीन पर गिरो, लेकिन मूर्ति पानी में अवश्य चली जाय ।

अपको इस कार्य में यदि सफलता मिली तो तुमको बहुत सा इनाम दिया जायेगा।

लालच वश नौकर ने ऐसा ही किया ज्यों ही जल कुण्ड के पास पहुँचा त्यों ही मूर्ति पानी में चली गई ।

अब तो बादशाह का साहस जाता रहा कुण्ड की ओर लपके और उसमें कूद मोम की मूर्ति को लिये पानी से निकले ।

अब उन्हें अपना भरम ज्ञात हुआ । बीरबल तो उस समय वहाँ हाजिर ही थे। बीरबल बोले आपके इतने नौकर हैं फिर भी आप अकेले ही पैदल क्यों अपने पोते के लिये दौड़े ।

आखिर सब सवारियाँ किस काम में आयेंगी ?

बीरबल ने और भी आगे चलकर कहा कि "क्या अब भी आँखें नहीं खुली । देखिये यह महत्व है जैसे आपको अपना पोता प्यारा था उसी तरह कृष्णजी को भी अपने भक्त लोग प्यारे हैं।"

"उनकी पुकार पर इसलिए ही दौड़े गये थे", यह सुनकर बादशाह बहुत प्रसन्न हुए।

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2. बादशाह अकबर का चित्र बाथरूम के दरवाजे पर

एक बार बीरबल की बुद्धिमानी की तारीफ सुन कर उसी वक्त के एक प्रख्यात(famous) राजा ने अपने राज्य में बीरबल को आने की अनुमति देने की बादशाह को पत्र लिखा ।

बीरबल को अपने यहाँ बुलाकर उनकी बेइज्जती करने का विचार राजा ने किया था । बादशाह अकबर ने बीरबल को जाने की इज्जात दे दी ।

बीरबल जब उस राजा के राज्य में पहुंचे तो धूमधाम से इनका स्वागत किया गया ।

इधर राजा ने बीरबल का उपहास करने के लिये, बादशाह अकबर और बीरबल का चित्र बाथरूम के दरवाजे पर टॅगवा दिया था।

तीसरे पहर जब बीरबल बाथरूम जाने लगे तो बादशाह का चित्र बाथरूम में देखकर जान गए कि राजा ने मजाक करने के लिए ऐसा किया है।

वहाँ से उल्टे पाँव वापिस आकर राजा से बोले कि क्या आपको कब्ज की शिकायत तो नहीं?

यह शंका मुझे इस लिए हुई कि मैंने सोचा, हो न हो बादशाह अकबर का चित्र देखते ही भयभीत हो जाने से राजा साहब का टॉयलेट आ जाता होगा ।

क्या मेरा अनुमान सच है? बीरबल के प्रश्नों से राजा साहब शर्मिन्दा हो गए।

कोई उत्तर न बन पड़ा ।

बीरबल जब दिल्ली आये तो बादशाह अकबर के सम्मुख इसकी चर्चा हुई और बीरबल के उत्तर से बादशाह बहुत प्रसन्न हुए और बीरबल को उस दिन ख़ुशी से बहुत सा धन वस्त्र आदि दिया।

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3. बातहि हाथी पाइए बातहि हाथी पांव : Akbar Birbal Short Stories Hindi

बादशाह ने एक रात को बड़ा भयानक स्वप्न देखा । जिसमें उनके सारे दाँत गिर गए थे, केवल सामने का एक छोड़ कर ।

बादशाह को स्वप्न से बड़ी फिक्र हुई । उन्हें रात भर नींद न आयी ।

सवेरा होते ही बड़े-बड़े रम्मालों, विद्वानों को स्वप्न का फल जान ने के लिए बुलाया ।

एक रम्माल बोला स्वप्न का फल अपशकुन सूचक है । वह यह कि आपके सामने ही आपके सब परिवार के लोग मर जायेंगे ।

बादशाह यह सुन इस रम्माल से बहुत नाराज हुए और आज्ञा दी कि इसे ले जाकर हाथी के पाँव तले कुचलवा दो।

कुछ देर में जब बीरबल आया तो उनसे भी बादशाह ने स्वप्न का भावार्थ पूछा।

बीरबल ने नम्रतापूर्वक उत्तर दिया कि इसका अर्थ तो स्पष्ट ही है , आप से ज्यादा आयु के परिवार में एक ही दो हैं।

रम्माल तथा बीरबल के कहने का भावार्थ एक ही था फर्क सिर्फ इतना ही था कि बीरबल ने बुद्धिमानी से जवाब दिया था ।

जिससे बादशाह ने प्रसन्न होकर इन्हें पुरुस्कार में हाथी दिलवाए और उसी अप्रिय सत्य जवाब पर रम्माल को हाथी पाँव मिला ।
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4. सबसे अच्छा मौसम कोनसा है?

वर्षा होने का अन्त था और नदी, जलखंडों के किनारे की कासे सफेद हो गई थी। ऐसा मालूम होता था मानो वे वर्षा ऋतु को वृद्धवस्था की सूचना दे रही है ।

ठंडी-ठंडी हवाएं बह रही थी। ऐसे सुहावने समय में बादशाह अपने नवरत्नों के साथ यमुना पर बैठे प्राकृतिक द्रस्य का अवलोकन कर रहे थे।

इसी समय ठंडी हवा का एक झोंका आया और बादशाह व उनके साथियों को अस्त व्यस्त कर चला गया।

बादशाह अकबर रुक न सके, महल में आये और कपड़े बदले। तब जाड़ा गया और फिर वैसी ही मन्डली इकट्ठी हुई।

तब बादशाह ने प्रश्न किया कि प्रत्येक दो मास की ऋतुएँ होती हैं। इनमें सबसे श्रेष्ठ आरामदेह कौन ऋतु है ?

इस प्रश्न पर सभी दरबारियों में से कोई भी एक मत न हो सका ।

किसी ने हेमन्त, किसी ने वसन्त इसी तरह अपनी अपनी डफली अपना- अपना राग ।

फिर सभी चुप गये। बादशाह को इन सबके जवाब से सन्तोष न हुआ तो बीरबल से भी उन्होंने कहा तुम चुप क्यों हो ?

बीरबल ने कहा "मेरी समझ से तो सभी ऋतुऐं आराम देह हैं, परन्तु पेट भरा होना चाहिये । यदि पेट खाली है तो अच्छी ऋतु भी बुरी मालूम होती हैं।

ऋतु का अच्छा-भला-बुरा परिणाम गरीबी पर होता है । राजपति क्या जाने । जो जेठ बैसाख(गर्मी) की दुपहरी में ठंडी ठंडी जगह और माघ(सर्दी) में अँगीठी द्वारा गर्म किए गए मकानों में रहते हैं।

बीरबल के जवाब को सभी ने स्वीकार किया ।

बादशाह को सन्तोष हो गया।
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5. संगति का असर : Akbar Birbal Short Stories Hindi

बादशाह और बीरबल की आपस में बातें हो रही थी कि अचानक बीरबल के मुख से कोई अपवाद निकल गया ।

बादशाह को बहुत बुरा मालूम दिया। बोले तुम्हें बोलने की तमीज नहीं रही दिन पर दिन बदतमीज होते जाते हो ।

बीरबल बोले-जहाँपनाह ! पहले तो ऐसा नहीं था, परन्तु संगति से अब दोष होना स्वाभाविक ही है ।

बादशाह यह सुन निरुत्तर हो गए।
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6. हजूर गधे आते हैं : Akbar Birbal Short Stories Hindi

बादशाह को हर समय कार्य भार से परेशान रहना अच्छा नहीं लगता था। इसलिए वो, राजकार्य से अवकाश पाकर मनोविनोद से जी बहलाते थे। बीरबल अपनी चतुराई से बादशाह का नित्य प्रति मनोरंजन करते थे।

एक दिन इसी तरह बादशाह ने बीरबल को किसी का स्वांग(मजाक) बनाने का आदेश दिया।

हुक्म पाकर बादशाह को बाहर जाते हुए जानकर, बीरबल ने तुरन्त ही बेलदारी का लिवास (पुराने कपडे) पहनकर, एक गधा साथ ले कर उनके पीछे टिक-टिक करते हुए उस मार्ग से गुजरे, जिस मार्ग से बादशाह जा रहे थे। फिर उनके पीछे-पीछे चलने लगे ।

रास्ते में ही भेंट(मिलना) हो गई। बादशाह ने झटपट(एकदम से) कहा की, हे नि:शंक गधे वाले । बगल से गधा क्यों नहीं ले जाता।

बीरबल मुस्करा कर बोले-मैं तो कहता ही। चला आ रहा हूँ । हजूर गधे आते हैं। बादशाह इस उत्तर से शर्मिन्दा हो गए।





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