Akbar Birbal Short Story in Hindi - सेर को सवा सेर | 100% मस्त

By:   Last Updated: in: ,

सेर को सवा सेर : Akbar Birbal Short Story in Hindi

Akbar Birbal Short Story in Hindi (read more stories-और अच्छी अच्छी कहानियां पढ़े) : allbca

संयोगवश 'बीरबल' और दिल्ली के एक 'काजी' में धार्मिक वाद-विवाद के कारण गहरा मनोमालिन्य हो गया ।

बीरवल ने उसको बुरी तरह पराजय किया था। इस अपमान का बदला काजी बीरबल को हरा कर चुकाना चाहता था ।

इन्हीं दुर्भावनाओं से प्रेरित होकर काजी ने दिल्ली नगर छोड़ दिया । बहार जाकर रूपिये का स्वांग सीखने लगा। (रूप बदलने की कला)

जब कार्य में खूब कुशल हो गया तो वेश बदल कर पुनः दिल्ली आया ।
Akbar Birbal Short Story in Hindi

कई जगह काजी ने अपना प्रदर्शन किया उसकी सोहरत इतनी बढ़ती गयी कि बादशाह तक के कानों में पहुँची ।

बादशाह भी शौकीन थे। सब हुनरों की कदर करते थे।

उनको भी बहुरूपिये के करतब देखने की प्रबल इच्छा हो गई।

बस फिर क्या होता। वहां तो हुक्म की देर थी ।

नौकर आज्ञा पाकर बहरूपिये को ले आया ।

काजी बहुरुपिया दरबार में आया और अदब से बादशाह को सलाम किया और सदस्यों को सलाम कर हाथ जोड़कर एक ओर खड़ा हो गया।

बादशाह अकबर ने उसे नया स्वांग दिखाने को कहा ।

अकबर बीरबल की मजेदार कहानियाँ

बहरूपिये काजी ने कहा जहाँपनाह मैं शेर का स्वांग बड़ी उत्तमता से कर सकता हूँ , किन्तु इसमें जख्मी हो जाने की सम्भावना रहती है और
यह भी सम्भव हो सकता है कि वह प्राणी मर जाए ।

ऐसी स्थिति में मुझे एक खून की माफी मिलनी चाहिये । (A Blood Pardon)

बादशाह अकबर ने बिना सोचे समझे मन्जूरी दे दी ।

उस बहरूपिये ने चलते वक्त बादशाह अकबर से यह भी निवेदन किया कि प्रदर्शन के वक्त बीरबल का हाजिर रहना आवश्यक है ।

Akbar Birbal Short Story in Hindi
बीरबल बादशाह के पास ही बैठे थे ।

उनको बहरूपिये की बातों से शक हो गया क्योंकि पहले तो उसने एक खून की माफी के लिए बादशाह को वचन वद्ध कर लिया । पश्चात् उसने मेरा होना भी आवश्यक बतलाया ।

इसका क्या रहस्य है । इसी उधेड़बुन में पड़े तर्क विर्तक करते रहे और सोचते रहे ।

बीरबल साहसी और बहादुर थे । वे किसी से डरते न थे ।

परिस्थितियों का मुकाबला करने में उनका जीवन व्यतीत हो रहा था। वे अपने अक्ल से काम लेते थे ।

उन्होंने सतर्क और सावधानी से रहने के लिये दूसरे दिन कवच आदि उपयोग किया ।

दूसरे दिन दरबार लगा । ठीक समय पर बहरूपिया शेर का स्वांग बनाकर हँसता कूदता लोगों को डराता, अपनी कला का प्रदर्शन करने लगा ।

बादशाह व दरबारी देख प्रसन्न हुये । कुछ काल तक इसी तरह करते-करते मौका पाकर नकली शेर बीरबल के ऊपर झपटा और एक ही बार में बीरबल का काम तमाम करने का प्रयास किया ।

किन्तु शेर के आक्रमण से बच कर बीरबल ने किसी गुप्त चीज से उस पर ऐसा प्रहार किया कि उसका सिर चकरा गया।

Akbar Birbal Short Story in Hindi
वह दूर जा कर पछाड़ खाकर गिरा । किन्तु दूसरे ही क्षण सम्भल कर बैठ गया।

उसने सबसे प्रथम जब बीरबल पर हमला किया तो उपस्थित मण्डली घबरा गई थी और बीरबल के प्राण नाश की आशंका से बड़ा शोर मचा ।

बादशाह अकबर तो यह देखकर आत्मविस्मित हो गए ।

उन्होंने विचार किया कि बहरूपिया ने एक खून की माफी मांगी और बीरबल के रहने के लिए जो उसने कहा अवश्य इसमें गहरा भेद है ।

Akbar Birbal Short Story in Hindi
जरूर उस्सने बीरबल की जान लेने के लिए ऐसी बात कही थी।

बादशाह अकबर ने बेहरुपीये को स्वयं हुक्म दिया था। इसलिए ज्यादा चिन्तित थे कि यदि मेरी वजह से बीरबल की हत्या हुई तो कालिख जीवन पर्यन्त के लिए मेरे मुँह पर लग जायेगी।

बहुरूपिये के आक्रमण से बीरबल का एक बाल भी बाँका न हुआ । बादशाह व सब दरबारी बीरबल को देखकर बड़े ही प्रसन्न और आश्चर्य चकित हुए ।

बनावटी शेर पंजो की खुरज से उनके कपड़े तो फट गए हैं , किन्तु अन्दर सुरक्षा कवच होने के कारण सरीर को कोई हानि न हुई ।

अकबर बादशाह का तोता

बादशाह ने बीरबल से पहले से ही सतर्क होकर आने का कारण पूछा कि क्या तुम्हें इसकी खबर पहले से थी ?

बीरबल ने अपनी भावनाओं को स्पष्ट करके बादशाह को समझाया कि जब इस बेहरुपीये ने खून माफ करने के लिये अर्जी की और मेरा रहना भी जरूरी बतलाया ।

उस समय मैं ताड़ गया कि हो न हो दाल में कुछ काला अवश्य है ।

Akbar Birbal Short Story in Hindi
इसी से मैंने पहले से ही अपने बचाव की काफी तरह से सावधानी की।

बादशाह बोले- बीरबल, आज तुम्हारी जान बच जाने से मैं बहुत प्रसन्न हूँ। इतनी खुशी तो मुझे अपने राजसिंहासन के समय भी न हुई ।

अब मेरा यह विचार है कि यह दगाबाज बहरूपिया तुम्हारी जान का करक है। समय पाकर वह आक्रमण कर सकता है।

इसलिये मैं चाहता हूँ कि उसको अभी फांसी पर लटाकाकर काम तमाम करूँ । किन्तु इसमें अपकीर्ति होगी ।

क्या कोई ऐसी तरकीब तुम बतला सकते हो जिससे साँप भी मर जाय और लाठी भी न टूटें?

बीरबल ने उत्तर दिया जहांपनाह यह कौन सी बड़ी बात है अभी इसका इन्तजाम हो जायेगा ।

बादशाह बोले- वो कैसे?

बीरबल ने उत्तर दिया की बस आप देखते जाईये !

इतना कह कर बीरबल बहरूपिये की ओर देखते हुए उसे सम्बोधित करके बोले कि तुम्हारी कला तो निहायत उत्तम है।

बादशाह प्रसन्न है कल तुमको सती का स्वांग करना होगा । इसमें तुम्हें यदि सफलता मिली तो बहुत कुछ इनाम दिया जायेगा।

Akbar Birbal Short Story in Hindi
बादशाह बोले कि जो स्वांग इससे अभी दिखाया है उसका क्या इनाम देना चाहिए ?

बीरबल ने कहा- जहांपनाह इसके लिए इन्हें, एक साल दीवान का पद मिल जाना चाहिए, किन्तु शर्त यह है कि यह सती का स्वांग दिखाने में सफल हो यदि सफल न हो तो फांसी की सजा दी जाए ।

बादशाह अकबर ने इस बात का समर्थन किया ।

बीरबल की पद प्राप्ति के लोभ से वह फूला न समाया, किन्तु बीरबल की शर्त से घबराया, पर करता ही क्या ?

समझ गया बीरबल ने अपना बदला लेने के लिये ऐसा किया है । अब इसके पंजे से छूट कर जान बचाना मुश्किल है।

वह जानता था कि सती के स्वांग से जान बचाना मुश्किल है और यदि नहीं करता है तो फांसी पर चढ़ना होगा ।

लाचार होकर उसने दूसरे दिन सती का स्वांग दिखाने का निश्चय किया ।

इधर बीरबल ने कुंड तैयार करवाया । उसमें पत्थर का कोयला दहक रहा था। दवा इत्यादि का भी काफी बन्दोवस्त कर लिया था।

Akbar Birbal Short Story in Hindi
दूसरे दिन ठीक समय पर सब दरबारी तथा दर्शकगण एकत्रित हुए ।

बीरबल के ऊपर आक्रमण करने से बहुत लोग इसको देखकर जल रहे थे। वे मन ही मन प्रसन्न हो रहे थे कि आज अपनी करनी का उसे फल मिलेगा ।

बहरूपिया सती के वेश में उपस्थित हुआ उसकी वेशभूषा सचमुच लुभावनी थी और सायिक थी।

सवभाव का तो कहना ही क्या था उसकी यही सबसे बड़ी खूबी थी।

कुण्ड को देखते ही वह दहल उठा और अनेकों तरह की भावानायें उसस्के मन में आयी।

एक बार उसने सोचा कि कही उसका भेद न खुल जाये , इसलिए वह कुण्ड में कुछ मिन्टों तक रहा लेकिन जलकर इसका सारा शरीर झुलस गया ।

जब बीरबल ने इसकी यह दशा देखी तो उनका सात्विक हृदय द्रवित हुआ ।

यद्यपि वो इनका जानी दुश्मन था फिर भी उसका दुख इनसे देखा ना गया। बीरबल ने तत्काल नौकरो को हुक्म देकर उस्सको कुण्ड में से निकलवा लिया ।

चारों ओर से वा-वाही की आवाज आने लगी, बीरबल धन्य है.... आदि आवाजों से गूंज उठा वहां का वायुमण्डल ।

Akbar Birbal Short Story in Hindi
फिर बीरबल ने उपयुक्त चिकित्सकों से बेहरुपीये की दवा कराई और वह 8-10 दिन में ठीक हो गया।

इस घटना से बहुरुपिये के दिल में भी बीरबल के प्रति श्रद्धा उत्पन्न हुई और वह अपने किये पर पछताने लगा।

जब वह बिल्कुल ठीक हो गया तो एक दिन भरी सभा में हाजिर हुआ और अपना पूर्व परिचय देते हुये बोला कि मैं वही काजी हूँ । वाद विवाद से मेरे दिल में बुरी भावनाएं पैदा हुई थी और बीरबल की हत्या का मैंने प्रबन्ध किया था ।

आज मुझे उनकी महिमा का ज्ञान हुआ । अब मैं अपने उस बैर को बिल्कुल भूल गया हूँ और अपने १व्यवहार के लिये माफी चाहता हूँ ।

यह कहते हुये बहरूपिया भेषधारी काजी बीरबल के पैरों पर गिर पड़ा।

बीरबल ने गद-गद कंठ से उठा कर अपने गले लगा लिया।

सब दरबारी देखकर दंग रह गये । बीरबल और काजी का मनमुटाव दूर हो गया ।

बादशाह बीरबल की युक्ति से बड़े प्रसन्न हुए क्योंकि उसने अपने दुश्मन को भी अपने वश में कर लिया था।





[ Topic= Akbar Birbal Short Story in Hindi ]
[ Topic= Akbar Birbal Short Story in Hindi ]




Join us on Facebook, Instagram, and Twitter to get the latest Akbar Birbal Short Story in Hindi. You can also ask us any questions.
Facebook = @allbcaweb
(click on it or search "allbcaweb" on Facebook)
Instagram = @allbcaweb
(click on it or search "allbcaweb" on Instagram)
Twitter = @allbcaweb
(click on it or search "allbcaweb" on Twitter)
Email= allbca.com@gmail.com
Send us your query anytime about Akbar Birbal Short Story in Hindi!



[ Topic= Akbar Birbal Short Story in Hindi ]
[ Topic= Akbar Birbal Short Story in Hindi ]
Akbar Birbal Short Story in Hindi
Akbar Birbal Short Story in Hindi

No comments:
Write comment